तुम्हारे और मेरे बीच
अरजेंट सी कोई बात क्या होगी?
इसके लिए कोई जगह ही नहीं है,
मन नहीं लग रहा मेरा,
घबराहट सी है दिल में,
एक बेचैनी है, हुक सी उठ रही है,
जोर-जोर से रोने का मन कर रहा है,
बोलो इसमें ऐसा क्या अरजेंट है,
जो मैं अभी के अभी तुमसे कहंु?
लग रहा है मैं हंू ही नहीं,
मेरा मैं मुझसे भागा सा जा रहा है,
छूकर तुम कहो, तुम हो!
ये आश्वस्ति चाहिए थी,
ये इतना अरजेंट नहीं है ना
कि---------------------
जब-तब तुम मुझे छूकर
मेरा होना बताते रहो।
अरजेंट सी कोई बात क्या होगी?
इसके लिए कोई जगह ही नहीं है,
मन नहीं लग रहा मेरा,
घबराहट सी है दिल में,
एक बेचैनी है, हुक सी उठ रही है,
जोर-जोर से रोने का मन कर रहा है,
बोलो इसमें ऐसा क्या अरजेंट है,
जो मैं अभी के अभी तुमसे कहंु?
लग रहा है मैं हंू ही नहीं,
मेरा मैं मुझसे भागा सा जा रहा है,
छूकर तुम कहो, तुम हो!
ये आश्वस्ति चाहिए थी,
ये इतना अरजेंट नहीं है ना
कि---------------------
जब-तब तुम मुझे छूकर
मेरा होना बताते रहो।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें